"भगवद गीता: जीवन के अमूल्य ज्ञान का सभी सिद्धांतों के साथ अद्वितीय सार"
भगवद गीता, महाभारत के भीष्म पर्व में स्थित एक छोटे-से भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का संग्रह है जो अर्जुन के साथ कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध के पहले दिन में हुआ था। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विवेचन किया।
**गीता का संदेश:**
1. **कर्मयोग:**
भगवद गीता में कर्मयोग का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें अर्जुन को कर्मों का निष्काम भाव और योग्यता के साथ कर्म करने का सुझाव दिया गया है।
2. **भक्तियोग:**
गीता में भगवान की भक्ति का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने भक्ति के माध्यम से दिव्यता की प्राप्ति का मार्ग बताया है।
3. **ज्ञानयोग:**
गीता में ज्ञान के महत्व को बताया गया है, जिसमें अर्जुन को अनात्मा और परमात्मा के अद्वितीयता का बोध कराया गया है।
4. **सांख्ययोग:**
गीता में सांख्ययोग का भी विस्तार है, जिसमें जीवन की उत्पत्ति, स्वरूप, और परमात्मा के साथ संबंध का विवेचन किया गया है।
**गीता के प्रमुख अद्भुत श्लोक:**
1. **कर्मयोग:**
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"
(तुम्हारा कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, फलों का कभी अधिकार नहीं।)
2. **भक्तियोग:**
"मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।"
(मेरे में मनन कर, मेरे भक्त बन, मेरे लिए यज्ञ कर, और मुझे प्रणाम कर।)
3. **ज्ञानयोग:**
"यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।"
(जब तुम्हारी बुद्धि मोह के कीले को पार कर जाएगी।)
4. **सांख्ययोग:**
"अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत।"
(ओ भारत, सभी भूत अव
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